विद्वत्वं च नृपत्वं च नैव तुल्यं कदाचन् | स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान सर्वत्र पूज्यते || Don't judge yourself at all; accept yourself and move on from there. तुम्ही स्वयंदिप व्हा !
बुधवार, ३० ऑगस्ट, २०२३
https://youtu.be/O--vMW1x2vg?si=PInvmxNSXmFkXpYP
ग्निहोत्र एक ऐसी-हवन पद्धति है जिसमें समय भी कम लगता है तथा इसे आसानी से किया भी जा सकता है। इस संसार में ईश्वर ने हमें सब कुछ प्रदान किया है, कृतज्ञता स्वरुप में प्रतिदिन अग्निहोत्र करने के लिए समय निकालना चाहिए। इस यज्ञ को स्वयं करना चाहिए व अन्यों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
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